सहरसा। महज 34 साल की उम्र में अपने दमदार अभिनय की बदौलत हिंदी सिनेमा में छा जाने वाले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की कथित हत्या के दो महीने पूरे होने को है। महाराष्ट्र सरकार की ढुलमुल रीति के चलते सुशांत के परिजनों सहित करोड़ों प्रशंसकों को न्याय की उम्मीद नहीं दिख रही है। सबों की एक ही मांग है कि मामले की सीबीआई जांच हो। तभी यह खुलासा होगा कि जिसने फिल्म के जरिये लोगों को आत्महत्या नहीं करने की नसीहत दी वो खुद ही आत्महत्या कैसे कर बैठा। महाराष्ट्र की उद्धव सरकार और उसकी पुलिस इसे आत्महत्या बताने पर उतारू है। जबकि घटना के दिन से ही पुलिस की कार्यशैली शक के दायरे में है।
सुशांत के भाई एवम विधायक नीरज कुमार बबलू ने तो स्पष्ट आरोप लगाया है कि आखिर किसे बचाने के लिये महाराष्ट्र सरकार सीबीआई जांच से भाग रही है। जब पूरे देश की मांग है कि सुशांत प्रकरण की सीबीआई जांच हो तो फिर महाराष्ट्र सरकार को परेशानी किससे है। बिहार पुलिस के अधिकारियों के साथ महाराष्ट्र सरकार के बर्ताव और उद्धव के शागिर्दों की सुशांत के पिताजी को लेकर दिए आपत्तिजनक बयान से ये तो साफ हो गया है की दाल में कुछ काला है। इस दो महीने के दौरान मुम्बई से जो बातें छनकर बाहर आ रही है उसमें तो ये साफ है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे पर भी गाज गिरना है। ये तभी संभव है जब सीबीआई जांच होगी। हालांकि जिस गर्माहट के साथ सुशांत प्रकरण तूल पकड़ रहा है उसमें महाराष्ट्र सरकार को सीबीआई जांच के लिए झुकना पर सकता है। सुशांत के परिजन और विधायक नीरज कुमार बबलू भी इसे लेकर पीछे हटने वाला नहीं है । सुशांत सहित उसके लाखों समर्थकों को न्याय मिले इसे लेकर विधायक नीरज बबलू कहीं भी जाने को तैयार है। अपने चाचा ( सुशांत के पिता ) पर संजय राउत के आपत्तिजनक टिप्पणी से उत्तेजित विधायक बबलू ने सार्वजनिक माफी मांगने को कानूनी नोटिस भिजवा दिया है। सुशांत मामले पर आदित्य ठाकरे ने पिछले दिनों जो बयान दिया था वो झल्लाहट वाला था। इस झल्लाहट के पीछे किया था? क्योंकि बार बार आदित्य ऐसा करता है। रिया को लेकर अभी तक हुए खुलासे और सुशांत के दोस्तों और करीबियों को धमकाने के किया कारण हो सकते है। इन तमाम चीजों को बारीकी से देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि महाराष्ट्र सरकार सुशांत प्रकरण की लीपापोती करने और सबूत नष्ट करने में ऐरी चोटी एक किये हुए है।