सहरसा। इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि जिस शख़्सियस की अस्थि नदियों में प्रवाहित करने बड़े से छोटे नेताओं में होड़ लगी हुई थी उन्हें दो साल बाद भी वो नहीं मिला जिसकी सबों ने मुखर होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश सरकार से मांग की थी। जी हां, हम बात कर रहे हैं पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के सदाबहार राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी की। दो साल पूर्व 16 अगस्त को अटल जी इस दुनियां से चल बसे थे। पूरे देश में शोक की लहर थी। विपक्षी पार्टियों के नेता भी अटल जी के जाने से दुखी थे। अटल जी की पार्टी भाजपा और उसके सहयोगियों को सदमा सा लग गया था। अटल जी शख्सियत ही उसी तरह के थे।
बाद में अटल जी की अस्थियों को नदियों में विसर्जित करने की पार्टी में होड़ सी लग गयी थी। विपक्षी इसे नौटंकी और चुनावी स्टंट तक कहने लग गये। इसी दौरान लोगों ने अपनी भावनात्मक श्रद्धांजलि के तहत सुपौल जिले के सरायगढ़ स्थित कोसी नदी पर बना पहला महासेतु पर ” अटल महासेतु ” नाम का तख्ती टांग दिया। तख्ती श्रद्धाभाव से टांगा गया जिसका किसी ने विरोध नहीं किया। सभी नेताओं ने इस जनभावना का कद्र करते हुए सरकार से अटल महासेतु नामकरण की मांग तक कर दी।
सिलचर से पोरबंदर तक बने प्रधानमंत्री स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत बनाया गया फोरलेन अटल की स्वर्णिम योजना थी जिसने विभक्त मिथिलांचल को एकीकृत तो किया ही कई पिछड़े इलाकों की तस्वीर बदलकर रख दी। इसी फोरलेन के लिए कोसी महासेतु तैयार किया गया। आज दो साल गुजरने को है लेकिन अभी तक इस महासेतु का अटल नामकरण किये जाने संबंधी अधिसूचना केंद्र सरकार द्वारा जारी नहीं किया जा सका है। राष्ट्रीय राजमार्ग के तहत आने वाले इस फोरलेन के मंत्री नितिन गडकरी हैं। अब आमजनों को ये समझ मे नहीं आ रहा कि केंद्र से लेकर प्रदेश तक मे एक ही सरकार रहने के बावजूद दो साल बीत जाने पर भी अटल महासेतु नामकरण संबंधी अधिसूचना क्यों नहीं जारी की जा सकी । लोगों का कहना है कि कोसी नदी पर बना पहला महासेतु के लिए अगर केंद्र सरकार अटल जी के नाम से अधिसूचना जारी करती है तो विपक्षी पार्टियों को भी इस पर किसी तरह का ऐतराज नहीं होगा। आज पूरे देश मे अटल जी की दूसरी पुण्यतिथि मनायी जा रही है। दिल्ली स्थित अटल समाधि से लेकर छोटे कस्बे तक मे उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण का होड़ मचा हुआ है। कहीं इस बार भी ये होड़ दिखावटी तक ही सीमित न रह जाये ?ऐसे में विपक्षी दलों का सरकार पर तंज कसना जायज ही है कि जो अपने कद्दावर और सर्वमान्य शख्सियत अटल बिहारी वाजपेयी के लिये एक महासेतु का नामकरण नहीं करवा सकता वो और क्या कर सकता है।