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फर्रुखाबाद की एक ऐतिहासिक त्रासदी..अभी भी जारी”…

एक समय था जब बंगश काल में फर्रुखाबाद कपड़े की बहुत बड़ी मंडी थी।यहां के शर्राफा बाजार की पूरे भारत में धाक थी।कानपुर उस समय एक गांव था।ब्रिटिशर्स के आने के बाद अवध के नवाब सआदत अली खान के साथ 1801 की संधि के तहत आज का कानपुर ब्रिटिश हाथों में चला गया। जल्द ही कानपुर ब्रिटिशर्स का सबसे महत्वपूर्ण सैन्य स्टेशन बन गया। 24 मार्च 1803 को कानपुर एक जिला घोषित किया गया। फर्रुखाबाद एक स्वतंत्र राज्य था।बंगश नवाब अंग्रेजों के झांसे में नहीं आ पा रहे थे।फर्रुखाबाद ब्रिटिशर्स के लिये अवरोध बना हुआ था।1857 गदर के बाद कानपुर का अभूतपूर्व विकास होना शुरु हुआ। उधर फर्रूखाबाद की अवनति शुरु हो गयी।दिल्ली से कलकत्ता वाया कानपुर रेल लाईन बनने के साथ कानपुर मार्केट ग्रो होना शुरु हो गया।उधर फर्रुखाबाद मार्केट सिकुड़ना शुरु हो गया।आज का कानपुर गंगा नदी के तट पर स्थित आधुनिक भारत का एक महत्वपूर्ण शहर है। कानपुर भारत में औद्योगिक क्रांति के प्रमुख केंद्रों में से एक था।अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण फर्रुखाबाद आज काफी पिछड़ गया है।सड़क व रेल के मेन रुट से हट ब्रांच रुट पर आ जाना पिछढ़ने का सबसे बड़ा कारण बना।स्वतंत्रता के बाद यहां लघु उधोगों व छपाई पर जोर दिया गया।ताकि स्वरोजगार के साथ रोजगार भी उत्पन्न होता रहे।ये लोहिया जी थे जिनकी सूझ बूझ से घटिया घाट का पुल निर्माण हो सका।इस पुल की बजह से गंगापार का फर्रुखाबाद से सक्रिय मिलन सम्भव हुआ जो फर्रुखाबाद की आर्थिक स्थिति सुद्रण होने की बड़ी बजह बनी।लेकिन लोहिया के बाद फर्रुखाबाद की वास्तविक दुर्गति होना शुरु हो गयी।अब ऐसे जन प्रतिनिधि चुने जाने लगे जो अपने शहर नहीं बल्कि सिर्फ अपनी पार्टी के प्रति उत्तरदायी होते है।उनका काम सिर्फ विधान सभा या संसद में हाथ उठाना होता है।जनता के सुख दुख व जरुरतों से इनका दूर दूर तक कोई वास्ता नही है।यही कारण है कि विकास की आस में लगभग सभी उधोग धंधे समाप्ति की राह पकढ़ चुके है।ये बचे कुचे लघु उधोग व कृषि ही है जिसकी बजह से जिला आज भी जिन्दा है। कृषि की तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं है।कृषि की अनदेखी का मुख्य कारण कार्पोरेट खेती शुरु करवाना है। कृषि बिल जो वापस लिया गया है इसका साक्षात प्रमाण है।आगे पीछे ये फिर आयेगा।ये हिन्दुस्तान की सम्पूर्ण बरवादी का सबब होगा।इधर रही सही कसर मास्टर प्लान ने पूरी कर दी।जिस बेरहमी से बुलडोजर चलाया गया सभी के लिये एक सबक है। जन प्रतिनिधित्व मुद्दों पर न हो,धार्मिक आधार पर होने से फर्रुखाबाद बर्बादी की ओर अग्रसर हो चुका है।इधर एक्सप्रेस हाईवे से सीधे जुड़ने का एक मौका बना था लेकिन उससे भी हाथ धोना पढा।क्या कभी किसी ने सोचा है कि फर्रुखाबाद की ऐसी दुर्गति क्यों हो रही है?इस विफलता के लिये हम लोकतंत्र को दोषी मान लेते है।लेकिन ऐसा नहीं है।इसके लिये राजनैतिक पार्टियों का दोष भी नहीं है।दोष जनता जनार्दन का है।जो अपने मुद्दों पर न जाकर जाति व धर्म के आधार पर वोट करते है।जब तक हम अपना जन प्रतिनिधि मुद्दों के आधार पर नहीं चुनेंगे।ऐसा ही होता रहेगा।जाति व धार्मिक आधार पर वोट करना बंद करना होगा।तभी हम कह पायेंगे लोकतंत्र विकास के लिये एक आवश्यक तंत्र है।

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