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इसराइल से ईरान के सीधे नहीं टकराने पर विदेशी मीडिया में क्या कहा जा रहा है?

ईरान और इसराइल की दुश्मनी जगज़ाहिर है.

सात अक्टूबर को इसराइल पर हमास के हमले और फिर जवाबी कार्रवाई में इसराइली सेना की ग़ज़ा पर बमबारी ने दोनों के रिश्ते अब और तल्ख़ कर दिए हैं.कहा जा रहा है कि इसराइल पर ये हमला ईरान ने करवाया है. हालांकि ईरान ने इससे इनकार किया है. हमास के हमले के बाद ईरान में जिस तरह ख़ुशियां मनाई गईं, उसने इसराइल की चिंता कई गुना बढ़ा दी थी.
पिछले चार दशक से ईरान के शासक इसराइल को ख़त्म कर देने की कसमें खाते रहे हैं.कहा जाता है कि ईरानी कमांडर सालों से इसराइल के दुश्मन हिजबुल्लाह और हमास जैसे संगठनों को ट्रेनिंग और हथियार देते रहे हैं.लेकिन इसराइल पर हमास के हालिया हमले ने उसे दुविधा में डाल दिया है.‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने लिखा है कि ईरान समझ नहीं पा रहा है कि फ़लस्तीन में इसराइली कार्रवाई का कैसे जवाब दिया जाए.अख़बार लिखता है कि ईरान आजकल लगभग हर दिन इसराइल को चेतावनी दे रहा है लेकिन उसके ख़िलाफ़ सीधी कार्रवाई का जोखिम उठाने से बच रहा है.

ईरान के अलावा हमास, हिजबुल्लाह और दूसरे संगठन भी इसराइली कार्रवाई के ख़िलाफ़ रणनीति को लेकर असमंजस में दिख रहे हैं.

फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़ ग़ज़ा में इसराइली कार्रवाई में अब तक 8000 से अधिक फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं लेकिन ईरान और इसके सहयोगी इसराइल से सीधी जंग का जोखिम उठाने में हिचकिचा रहे हैं.ख़ामनेई ने मुस्लिम देशों से इसराइल को तेल और खाद्य वस्तुओं की सप्लाई रोकने की अपील की है.

उन्होंने इसराइल को अमेरिकी समर्थन की निंदा करते हुए कहा है कि इसके बिना इसराइल चंद दिनों में ही पंगु हो जाएगा.

वहीं ‘तेहरान’ टाइम्स’ की ख़बर के मुताबिक़ खामनेई ने कहा कि ‘अमेरिका के लिए मौत’ महज़ एक नारा भर नहीं है बल्कि ये ईरानी लोगों के ख़िलाफ़ पिछले सात दशकों से चली आ रही उसकी अंतहीन साज़िशों और दुश्मनी का नतीजा है.

ख़ामनेई ने राष्ट्रीय छात्र दिवस से पहले हज़ारों छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका के खुले समर्थन के बगैर यहूदी सत्ता को चंद दिनों में ही पस्त हो जाएगा.

ख़ामनेई ने पश्चिमी देशों को नेताओं की ओर से हमास को आतंकवादी संगठन करार देने पर कहा कि ग़ज़ा पर हमले पश्चिमी देशों के मानवाधिकारों के का मुल्लमा उतार दिया है. उन्होंने कहा कि क्या दूसरे विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी के ख़िलाफ़ लड़ने वाले फ्रांसीसी आतंकवादी थे.

ख़ामनेई ने इस्लामी देशों की चेतावनी दी कि अरब देश अगर इसराइल के ख़िलाफ़ खड़े नहीं हुए तो वो हमास को ख़त्म करने के बाद उन्हें भी कुचलना शुरू कर देगा.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ बुधवार को ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाह्यान ने भी कहा कि ग़ज़ा पट्टी में बमबारी जारी रही तो इसराइल को बेहद बुरे नतीजे भुगतने होंगे.

लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि ईरान इसके ख़िलाफ़ क्या करेगा.

इस बीच, इसराइल के लिए अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में 14.3 अरब डॉलर की मदद मंज़ूर होने बाद ईरान का रवैया और सख्त हो गया है.

इससे ये साफ हो गया है कि वो किसी भी क़ीमत पर ईरान और उसके सहयोगियों को हावी नहीं होने देना चाहता.इसराइल के लिए अमेरिकी मदद के ऐलान के बावजूद ईरान की ओर से इसराइल पर सीधी कार्रवाई की कोई अपील न किए जाने के सवाल पर विश्लेषकों का कहना है इसमें कोई शक नहीं है कि ईरान ने हमास के चरमपंथियों को ट्रेनिंग दी है और फंड मुहैया कराए हैं.

हमास ने ड्रोन और रॉकेट का जो जखीरा खड़ा किया है, उसमें ईरान का सहयोग है.

लेकिन ग़ज़ा और यमन की नाकाबंदी की वजह से ईरान के लिए वहां भारी हथियार पहुंचाना भी मुश्किल हो गया है.

खामनेई और ईरान के विदेश मंत्री के हालिया बयानों से साफ़ हो गया है कि चार दशकों से इसराइल को ख़त्म करने की कसमें खाने वाला ईरान सीधी जंग में नहीं उतरने वाला.

इन बयानों में पश्चिमी देशों के बहिष्कार और अरब देशों से एकजुटता दिखाने की तो अपील की गई है लेकिन इसराइल के ख़िलाफ़ सीधा युद्ध छेड़ने के कोई संकेत नहीं हैं.

ईरान ने कहा है वो नहीं चाहता है कि इसराइल हमास की जंग पूरे अरब वर्ल्ड में फैल जाए. लेकिन हालात बेहद विस्फोटक हैं और कभी भी ये पूरे इलाक़े को अपनी जद में ले सकता है.

अगर ऐसा होता है तो हालात न तो इसराइल-अमेरिका के काबू में रह जाएंगे और अरब देशों के.

ईरानी विदेश मंत्री का कहना है कि लेबनान, यमन और इराक़ में मौजूद ईरान समर्थित हिजबुल्लाह और हूती जैसे चरमपंथी संगठन इसराइल के ख़िलाफ़ चौतरफा मोर्चा खोल सकते हैं और फिर इसराइल के लिए इसे संभालना बेहद मुश्किल हो जाएगा.

लेकिन चेतावनी दर चेतावनी देने के बावजूद ईरान ने इसराइल के ख़िलाफ़ सीधे जंग में उतरने के कोई संकेत नहीं दिए हैं.

ईरान समर्थित हिजबुल्लाह और यमन की हूती मिलिशिया ने भी इसराइल पर सीमित हमले ही किए हैं और वो भी सिर्फ सीमाई इलाके में.

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