उत्तर प्रदेश में बिजली महंगी हो सकती है। बिजली कंपनियों ने गुरुवार को वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल कर दिया है, जिसमें उन्होंने बिजलीl खरीद और बिजली बिल से मिलने वाली रकम में 11,000 से 12,000 करोड़ रुपये का अंतर दिखाया है। अगर नियामक आयोग बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल किए गए एआरआर को मंजूरी दे देता है तो बिजली के दामों में 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। टैरिफ कानून के तहत बिजली कंपनियों द्वारा एआरआर दाखिल करने के लिए गुरुवार को अंतिम दिन था। शाम पांच बजे के बाद बिजली कंपनियों ने अपना एआरआर दाखिल किया, जिसमें 11,000 से 12,000 करोड़ रुपये का अंतर दिखाया है। रीवैंप डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत 13.06% लाइन लॉस दिखाते हुए यह प्रस्ताव दाखिल किया गया है।कंपनियों ने 1,45,0000 मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता बताते हुए उसकी कुल लागत 80,000 से 85,000 करोड़ रुपये के बीच बताई है। साल 2023-24 में लगभग 92,547 करोड़ का वार्षिक राज्य आवश्यकता दाखिल की गई थी। जबकि अगले वित्तीय वर्ष के लिए 1 लाख 1000 करोड़ रुपये का एआरआर बताया गया है।
बीते साल बिजली कंपनियों ने एआरआर में 9,124 करोड़ रुपये का अंतर दिखाया था। इस घाटे की भरपाई के लिए 15 से 20 प्रतिशत तक बिजली दरों में इजाफे का प्रस्ताव तैयार किया गया था।
अगर इसी आधार पर गणना की जाए और 11,000 से 12,000 करोड़ रुपये का अंतर सही पाया जाता है तो बिजली दरों में 25 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हो सकता है। हालांकि बाद में बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का सरप्लस बताते हुए इस बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर रोक लगाई गई थी। नियमों के मुताबिक नियामक आयोग जब एक बार बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल एआरआर को स्वीकृत कर लेता है तो उसके 120 दिनों के भीतर बिजली की दरों के इजाफे पर फैसला लिया जाएगा।
हालांकि इसके पहले बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल किए गए एआरआर को स्वीकृति देने से पहले नियामक आयोग इसका परीक्षण करेगा। परीक्षण के दौरान बिजली कंपनियों से जवाब तलब किया जाएगा और आपत्तियों पर चर्चा होगी। अगर आयोग बिजली कंपनियों के दावे को सही पाता है तो इसे स्वीकृति दी जाएगी। योजना में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने भी अपना योगदान दिया, लेकिन बाकी डिस्कॉम्स की तुलना में यहां थोड़ा कम राजस्व प्राप्त हुआ। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के तहत 30 नवंबर तक 370 करोड़ से ज्यादा की वसूली हुई, जबकि 4.35 लाख से ज्यादा लोगों ने योजना में अपना पंजीकरण कराया। अकेले 30 नवंबर को करीब 11 हजार लोग योजना का लाभ लेने के लिए पंजीकरण कराने पहुंचे तो 9 करोड़ से ज्यादा की राशि विभाग के काउंटर व अन्य माध्यमों से जमा हुई।
