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शिक्षा विभाग में फर्जी हस्ताक्षर के खेल का उपजिलाधिकारी ने किया पर्दाफाश*

अमृतपुर/फर्रुखाबाद

संवाददाता सर्वजीत यादव की रिपोर्ट

उप जिलाधिकारी रविंद्र कुमार द्वारा विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान हड़कंप की स्थिति बनी रही। तेजतर्रार एसडीएम ने हमीरपुर परतापुर पहुंचकर सम्मलन विद्यालय की जांच पड़ताल की। जिसमें सहायक अध्यापक संतोष कुमार वर्मा का अजीबोगरीब कारनामा पाया गया। उपस्थिति रजिस्टर पर उनके फर्जी हस्ताक्षर थे और वह विद्यालय से गायब थे। एसडीएम ने जब इसकी जांच की तो वह आश्चर्य चकित रह गए। फर्जी हस्ताक्षरों का कारनामा एसडीएम की नजर में आते ही विद्यालय में उपस्थित अन्य अध्यापकों के चेहरे पर 12 बज गए। तीन रसोइयों में से एक रसोईया रामाकांती भी अनुपस्थित पाई गई। विद्यालय में 78 छात्र छात्राएं पंजीकृत हैं जिसमें मात्र 29 ही मौके पर उपस्थित थे। जब एसडीएम द्वारा कक्षा छह-सात एवं आठ के छात्रों से अंग्रेजी व विज्ञान के सवाल पूछे गए तो उनके उत्तर सही तरीके से नहीं दिए गए। जिससे यह साबित हो गया कि विद्यालय में शिक्षण कार्य भी न्यूनतम स्तर का चल रहा है। विद्यालय में पढाने वाले अध्यापक मोटी सैलरी लेने के बाद मौज मस्ती की जिंदगी गुजारने में लगे हुए हैं। परिसर में चारों तरफ गंदगी के अंबार थे। सफाई कर्मी नहीं आता था। अपने स्थान पर दूसरे व्यक्ति को भेजने का कार्य कर रहा था। एसडीएम द्वारा एमडीएम की जांच की गई और मौके पर बैठकर उन्होंने स्वयं ही थाली में लेकर एमडीएम बच्चों के साथ में खाना शुरू कर दिया। खाने की स्थिति कुछ हद तक सही पाई गई। इसके उपरांत एसडीएम माखन नगला एवं राम प्रसाद नगला की तरफ पहुंचे और वहां के विद्यालयों को जांचना शुरू कर दिया। प्रधानाध्यापक प्रवीण कुमार मेडिकल लीज पर थे। सहायक अध्यापक अवनीश कुमार बीआरसी राजेपुर में किसी काम से गए हुए थे। अध्यापक ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह मौके पर उपस्थित होकर छात्रों को पढ़ने में लगे हुए थे। रसोईया मौके पर उपस्थित थे। 74 पंजीकृत छात्र-छात्राओं में 25 छात्र छात्राएं उपस्थित थे। सफाई कर्मी यहां भी अनुपस्थित पाया गया। गंदगी यहां भी थी। पढ़ाई का स्तर बेहतर नहीं था। एसडीएम द्वारा शिक्षण कार्य को लेकर नाराजगी जताई गई। उन्होंने अनुपस्थित अध्यापक के प्रति कार्यवाही को लेकर बीएसए को पत्र लिखा और कार्रवाई की मांग की। सख्त एसडीएम का रुख अगर इसी तरीके से लगातार जारी रहा और विद्यालयों की जांच पड़ताल होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब इन सरकारी विद्यालयों में भी अध्यापक सही समय पर उपस्थित होकर बच्चों को शिक्षण कार्य कराएंगे और छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी सही तरीके से दर्ज कराई जाएगी।

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