फर्रुखाबाद अमृतपुर
अमृतपुर फर्रुखाबाद । शिक्षा के क्षेत्र को सुधारने के लिए प्राथमिक एवं जूनियर विद्यालयों में पुराने भवनों को हटाकर नए भवन बनवाए गए। और इन नए भवनों का सुंदरीकरण किया गया। चारों तरफ बाउंड्री गेट लगवाए गए। अंदर शौचालय और बाथरूम की व्यवस्था की गई। छांव के लिए पेड़ लगवाए गये। शिक्षा व्यवस्था बेहतर रहे इसके लिए इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले गए। अच्छे और उच्च शिक्षा वाले अध्यापकों को नियुक्त किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का क्षेत्र और बेहतर हो सके। इसके लिए नित नए उपाय किए गए। परंतु जो अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र को आगे बढाना ही नहीं चाहते और इन नौनिहालो के भविष्य से खिलवाड़ करना उनका सगल बन चुका है। ऐसे अध्यापक ना तो समय से स्कूल पहुंचते हैं। और ना ही स्कूल का गेट ही खुलवाते है। उज्जवल भविष्य की कामना लेकर स्कूल पहुंचने वाले नौनिहाल स्कूल के गेट पर लटक रहे ताले को देखकर बाहर ही खड़े रहते हैं। अध्यापकों के आने का समय निश्चित ना होने के कारण इन बच्चों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। विकासखंड राजेपुर के प्राथमिक विद्यालय गैहलार की यही स्थिति है। जहां स्कूल का गेट समय से नहीं खुलता। लेकिन पढ़ने वाले छात्र और छात्राएं यहां समय से पहुंच जाते हैं। गेट पर लगे ताले को देखकर यह नौनिहाल छात्र बस्तों का बोझ कंधों पर लटकाए घंटो बाहर खड़े हुए थे। स्कूल का समय सुबह 7 बजकर 30 मिनट का है लेकिन 8 बजकर 50 मिनट तक स्कूल नहीं खुला हुआ था।शिक्षा के नाम पर पांच अंको की मोटी सैलरी पाने वाले 
अध्यापक शिक्षा विभाग की सुस्ती के चलते घोर लापरवाही बरत रहे है। अगर विभाग द्वारा ऐसे अध्यापकों पर कार्रवाई न की गई। तो बह दिन दूर नहीं जब शिक्षा के ये मंदिर अपनी गुणवत्ता खोने लगेंगे और फिर शिक्षा विभाग पर कई सवालिया निशान भी खड़े हो जाएंगे ऐसे में विभाग को चाहिए कि वह शिक्षा के गिरते हुए स्तर को सुधारने का प्रयास करें और जो लापरवाह अध्यापक हैं उनकी लापरवाही का दंड उन्हें जरूर दे जिससे एक नई मिसाल पेश हो और एक नया संदेश समाज में पहुंचे। जिसके चलते लापरवाह अध्यापक इन नौनिहालो के भविष्य से ना खेल सके।
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