अमृतपुर राजेपुर
संरक्षक रामवीर राजपूत की रिपोर्ट
गंगापार क्षेत्र में अधिक बाढ़ आने के कारण रोड के ऊपर से पानी निकलने लगा जिससे कई रोडो का कटान हो गया था रोड टूट कर जर्जर हो गई हैं जिससे लोगों को आने-जाने में अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है वही गंगा पार क्षेत्र की मानें तो सभी रोड जर्जर है नहीं कराया जा रहा है निर्माण कार्य लेकिन विचार करने वाली यह बात है गंगा पार क्षेत्र में बाढ़ आती रहेगी कैसे होगा अमृतपुर क्षेत्र का विकास जिससे किसानों के लिए सबसे बड़ी दुखदायी है क्योंकि गंगा पार क्षेत्र ज्यादातर कृषि पर आधारित है कृषि पर ही उनकी रोजमर्रा का खर्च चलता है अधिक बाढ़ आने के कारण फासले नष्ट हो जाती हैं वह उसका मुआवजा भी किसानों को नहीं मिल पाता है एक दो फैसले हर साल चली जाती हैं जो अक्टूबर व नवंबर दिसंबर में रवि की फैसले बाई जाती हैं वह भी किसानों की लेट हो जाती हैं आलू के लिए बुवाई के लिए अभी तक खेतों से पानी नहीं निकल पाया जो ऊंचे स्तर पर खेत थे उनका तो पानी सूख गया है लेकिन जो नीचे स्तर के खेत हैं उनका अभी तक पानी नहीं निकला है वह उनका किसानों का मुआवजा भी नहीं मिल पाता है जबकि शासन ने बाढ़ पीड़ितों को प्रतिवर्ष प्रशासन को आदेश दिए जाते हैं वहीं उच्च अधिकारी भी निचले अधिकारियों को आदेश दे देते हैं गांव गांव जाकर किसानों के फासले नष्ट के कागज इंतखाब संबंधित कागजात उपलब्ध कराने के लिए लेखपालों को निर्देशित किया जाता है लेखपाल अपने संबंधियों के ही कागजात उपलब्ध कराते हैं अधिकारी भी किसानों के पास नहीं जाते हैं ना ही उनसे कहते हैं जिन लोगों की फैसले नष्ट हो गई हैं वह अपने कागज जमा करें अमृतपुर क्षेत्र में देखा जाए तो अभी तक कितने लोगों को असली नष्ट का मुआवजा दिया गया है वह कितने लोगों को नहीं दिया गया है यह बात केवल कागजों तक ही सीमित होती है हकीकत में देखा जाए तो 2 वर्षों के अंतर्गत मुआवजा उपलब्ध नहीं कराया गया इसका जिम्मेदार निचले स्तर के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही रहती है फसली नष्ट का मुहाबजा लेने के लिए किसान लेखपालों के चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन उन्हें कुछ नहीं हासिल होता है आखिर कौन जिम्मेदार है कौन उच्च स्तर के अधिकारी क्यों नहीं करते कोई भी कार्रवाई