फर्रुखाबाद संवाददाता
मंडल ब्यूरो चीफ देवराज सिंह की रिपोर्ट
आज दिनांक को पूर्व नियोजित प्रदेश अध्यक्ष श्री अवधेश श्रीवास्तव के निर्देश पर शिक्षामित्र शिक्षक पात्रता संगठन की बैनर तले टेट /सीटेट पास शिक्षामित्र अध्यक्ष कन्हैयालाल ने अपने साथियों के साथ उत्तराखंड के राजकीय प्रारंभिक शिक्षा संशोधन नियमावली 2019 के अनुसार माननीय मुख्यमंत्री महोदय उत्तर प्रदेश सरकार को संबोधित मांग पत्र श्रीमान जिलाधिकारी महोदय फर्रुखाबाद की अनुपस्थिति में नगर मजिस्ट्रेट के निर्देशन पर उपस्थित प्रतिनियुक्ति अधिकारी को सौंपा , जिसमें उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र जो टेट और सीटेट पास है उनको उत्तराखंड की भांति ही नियमित किया जाए क्योंकि एक विधान एक संविधान एक देश में समानता का यही सिद्धांत है। 24 वर्ष से लगातार अपनी सेवाएं शिक्षामित्र प्रारंभिक शिक्षा को दे रहा है शिक्षामित्र ने अपना पूरा गोल्डन जीवन शिक्षा को समर्पित कर दिया है, इसके बावजूद अभी तक शिक्षामित्र मात्र ₹10000 प्राप्त कर रहा है जबकि अन्य प्रदेशों में जो कि गरीब प्रदेश कहे जाते हैं उनमें उत्तर प्रदेश से ज्यादा शिक्षामित्र को मानदेय प्राप्त हो रहा है, कई प्रदेश शिक्षा मित्र जैसे कर्मचारियों को या तो परमानेंट कर चुके हैं या फिर उनको बेतहर मानदेय जीवन यापन के लिए देते है, 25 जुलाई 2017 के बाद शिक्षामित्र के जीवन में अंधियारा आ गया जिसको आज तक रास्ता नहीं प्राप्त हो सका, शिक्षामित्र कार्यपालिका न्यायपालिका विधायिका की फुटबाल की भांति हो गया है जो कभी इधर फेंकता है कभी उधर फेंकता है। माननीय बहन कुमारी मायावती ने अपनी बसपा सरकार में 124000 शिक्षामित्र को बीटीसी एनसीटी के नियम अनुसार शिक्षा मित्रों को प्रशिक्षित कराया, और उनकी सरकार जाते ही माननीय अखिलेश यादव जी की सरकार ने शिक्षामित्र की सुधारने के लिए शिक्षामित्र के नेताओं के मांग पत्र के अनुसार शिक्षामित्र को नियमित करने का वबीड़ा उठाया और 137000 शिक्षामित्र को नियमित कर दिया परंतु कुछ खामियां रह गई जिस कारण माननीय सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को 25 जुलाई 2017 को शिक्षक मानने से इनकार कर दिया और कहा की योग्यता से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है जबकि उस समय भी तकरीबन 30000 शिक्षामित्र टेट और सीटेट पास थे शिक्षामित्र की एक न सुनी गई और उनको खुली भर्ती में आने के लिए कह दिया गया खुली भर्ती में शिक्षामित्र ने अपनी जान लगा दी और टीईटी पास किया परंतु राज सरकार ने शिक्षामित्र की कट ऑफ में अचानक इतनी वृद्धि कर दी की सामान्य शिक्षा मित्र नवयुवकों से अधिक अंक प्राप्त नहीं कर सका शिक्षामित्र के लिए 65 प्रतिशत अंक प्राप्त करना मुमकिन ही नहीं बल्कि नामुमकिन था फिर भी हमारे कुछ जांबाज शिक्षामित्र ने इस कट ऑफ को भी पार किया, और चयनित हो गए। शिक्षामित्र ने कोर्ट का सहारा लिया तब इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति श्री राजेश सिंह चौहान की अदालत ने शिक्षामित्र के लिए इतनी कट ऑफ रखने पर कड़ी आपत्ति की और कहा कि खेल के प्रारंभ होने के बाद बीच में नियम नहीं बदले जा सकते हैं परंतु राज सरकार ने परीक्षा होने के बाद ही कट ऑफ लगाई है जो कि न्याय संगत नहीं है , और शिक्षामित्र को पूर्व की भांति 40% और 45 प्रतिशत पर कट ऑफ रखने का निर्णय लिया। इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय गई और अपनी बात 65 प्रतिशत कट ऑफ मनवाने में कामयाब रही। शिक्षामित्र का कहना है कि हम 24 वर्ष से सेवा कर रहे हैं ना की कंपटीशन की तैयारी। शिक्षामित्र का कहना है कि जो आजआई ए एस की परीक्षा पास कर चुके हैं वह 10 साल की सेवा बाद वही परीक्षा उनसे पास करवाई जाए तो किसी भी कीमत पर पास नहीं कर सकते, जब की शिक्षामित्र 24 वर्षों से सेवा शिक्षा विभाग को दे रहा है इसके बावजूद भी शिक्षामित्र को वही कंपटीशन देनी पड़ रही है जो की एक युवा व्यक्ति अपनी कंपटीशन की तैयारी करके देता है। शिक्षामित्र की सेवा को उत्तराखंड जैसी सरकार ने गहराई से लिया जो कि उत्तर प्रदेश का ही विभाजित प्रदेश है, शिक्षा मित्रों को 2018 की प्रारंभिक शिक्षा नियमावली में संशोधन करके 2019 में शिक्षामित्र को जो की टेट अथवा सीटेट पास है उनको नियमित करते हुए कहा कि जो शिक्षामित्र टेट अथवा सीटेट पास हो जाएंगे उनको राज सरकार उनको उन्हीं विद्यालयों में समायोजित कर देगी जिस विद्यालय में वह अध्यापन रत है यही मांग उत्तर प्रदेश के टेट और सीटेट पास शिक्षामित्रों ने समस्त जनपदों से माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार से की है,