संवाददाता अमृतपुर
अमृतपुर फर्रुखाबाद 23 मार्च। शराब के शौकीन इस अमृत पान के लिए कुछ भी करना पड़े करने के लिए तैयार रहते हैं। कहीं भी मिले और कैसे भी मिले यह उसके लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं। शराब पीने के बाद कुछ शौकीनों को ना तो शर्म लगती है और न हीं अपने या दूसरे के मान सम्मान से कोई सरोकार रहता है। शराब के बाद जो घटनाएं घटित होती हैं उनमें से अधिकतर मदिरापान के द्वारा ही होती है। झगड़ा फसाद हत्या आत्महत्या जैसे संगीत जुर्म भी शराब के नशे में किए जाते हैं। इसलिए प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर शराब के ठेकों को मुख्य मार्ग से एवं आबादी के क्षेत्र से दूर रखने के निर्देश जारी किए थे। परंतु अब यह आदेश सिर्फ कागजों में ही दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि अधिकतर शराब के ठेके आबादी के क्षेत्र में पहुंचकर अपनी अच्छी खासी जड़े जमा चुके हैं। ना तो इनका विरोध होता है और ना ही उनकी शिकायतें होती है। परंतु अमृतपुर थाना क्षेत्र के गांव रतनपुर निवासी ग्रामीण मूर्तिदेवी देवेश कमलेश सोनी रामपाल संजय ललित आदि लोंगों ने हिम्मत दिखाई और गांव में आबादी क्षेत्र में चल रहे इस शराब ठेके के विरुद्ध एक प्रार्थना पत्र उप जिलाधिकारी अमृतपुर को दिया। उस प्रार्थना पत्र में शराब ठेके का विरोध किया गया। ग्रामीणों ने एकजुट होकर मांग की कि इस शराब ठेके को आबादी क्षेत्र से कहीं दूर स्थापित किया जाए। क्योंकि अधिकतर शराब के पीने वाले लोग नशे में होकर यहां गाली गलौज करते हैं। मकान के सामने खड़े होकर नंगे हो जाते हैं और गलियों में ही खड़े होकर पेशाब करने लगते हैं। जिससे महिलाओं बच्चों जवान युवतियों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। जो की समाज के विरुद्ध है। ऐसे शराब के ठेके जो की आबादी में है गंगा पार क्षेत्र के ग्राम करनपुर दत्त कस्बा राजेपुर लीलापुर अमृतपुर व सलेमपुर में भी मौजूद हैं। इन ठेकों को जिला प्रशासन द्वारा आबादी के क्षेत्र से दूर हटाया जाए। क्योंकि इन शराब ठेकों से लोगों के दिलों दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। जबकि अमृतपुर का शराब ठेका तो ऐसी जगह पर है जहां पर आबादी भी घनी है और मुश्किल से 100 मीटर की दूरी पर चार विद्यालय भी मौजूद हैं। जिसमें जूनियर प्राइमरी कन्या विद्यालय एवं शिशु मंदिर आता है। इस विद्यालय का गेट और शराब ठेके का मुहाना आमने-सामने है। बच्चे जब स्कूल के गेट से बाहर निकलते हैं तो अक्सर शराब ठेके के सामने वाले फील्ड में शराबियों की धमा चौकड़ी होती है। गाली गलौज मारपीट और शराब के जाम छलकाये जाते हैं। ऐसी स्थिति में प्रशासन की कार्रवाई उचित होगी या नहीं यह तो प्रशासनिक अधिकारी फैसला करेंगे और उनकी जिम्मेदारी होगी कि वह शराब के इन ठेकों को आबादी के क्षेत्र से हटाए जाने के निर्देश जारी करें। जिससे समाज में संदेश जाए और पीढ़ियां सही पथ पर आगे बढ़ सके।