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हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत आज यानी 30 मार्च 2025 से हो रही है। खास बात यह है हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है नवरात्रि की शुरुआत हुई

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत आज यानी 30 मार्च 2025 से हो रही है। हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता हैनवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई?

(Navratri kyu manaya jata hai)
मां दुर्गा स्वयं शक्ति स्वरूपा हैं और नवरात्रि में सभी भक्त आध्यात्मिक शक्ति, सुख-समृद्धि की कामना करने के लिए इनकी उपासना करते हैं और व्रत रखते हैं. जिस राजा के द्वारा नवरात्रि की शुरुआत हुई थी उन्होंने भी देवी दुर्गा से आध्यात्मिक बल और विजय की कामना की थी. वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि, किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर लंका की चढ़ाई करने से पहले प्रभु राम ने माता दुर्गा की उपासना की थी. ब्रह्मा जी ने भगवान राम को देवी दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा करने की सलाह दी और ब्रह्मा जी की सलाह पाकर भगवान राम ने प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चंडी देवी की उपासना और पाठ किया था.
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किस राजा ने की थी नवरात्रि की शुरुआत? (How navratri is celebrated)
भगवान बह्मा ने चंडी पूजा-पाठ के साथ ही राम जी को बताया कि, आपकी पूजा तभी सफल होगी जब आप चंडी पूजा और हवन के बाद 108 नील कमल भी अर्पित करेंगे. ये नील कमल दुर्लभ माने जाते हैं. राम जी ने अपनी सेना की मदद से ये 108 नील कमल ढूंढ लिए, लेकिन जब रावण को यह पता चला कि राम चंडी देवी की पूजा कर रहे हैं और नील कमल ढूंढ रहे हैं, तो उसने अपनी मायावी

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शक्ति से एक नील कमल गायब कर दिया. चंडी पूजा के अंत में जब भगवान राम ने वे नील कमल चढ़ाए तो उनमें एक कमल कम निकला. यह देखकर वो चिंतित हुए और अंत में उन्होंने कमल की जगह अपनी एक आंख माता चंडी पर अर्पित करने का फैसला लिया. अपनी आंख अर्पित करने के लिए जैसे ही उन्होंने तीर उठाया तभी माता चंडी प्रकट हुईं और माता चंडी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुईं और उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया.

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