*खाद की कमी से जूझ रहे किसान,भेदभाव का लगाया आरोप*
अमृतपुर फर्रुखाबाद 28 सितंबर। किसानो की समस्याओं को लेकर सरकार हमेशा सजग रहती है और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए अनेकों दावे किए जाते हैं। किसान भी अपनी जरूरतो को पूरा करने के लिए सरकार से मांग करते हैं। और जब उनकी यह मांगे पूरी नहीं होती तो कभी-कभी किसान आंदोलन का रूप सामने आ जाता है।
ग्रामीणों नें सचिव सहयोगी पर जातिपांति का आरोप लगाया हैं।ग्रामीणों नें बताया हैं कि उनके कागज आज लगभग 4 से 6 दिनों के जमा हैं। लेकिन उसके वावजूद भी किताबें नहीं बनाई गयीं और खाद भी नहीं दी गयीं।कमलेश यादव निवासी मुजहा नें बताया हैं कि मेरे कागज चार दिन के जमा हैं। लेकिन उसके वावजूद भी किताब नहीं बनाई गयीं, मेरी फ़ाइल ही गायब कर दी गयीं।उन लोगों क़ो खाद दे रहे हैं जिनकी फ़ाइल अभी जमा की हैं।ज़िल्लेदार निवासी मुजहा नें बताया है कि चार दिन से कागज जमा हैं
लेकिन उसके वावजूद भी न तो खाद दी गयीं और न ही कागज दिए गए। किसानो की समस्याओं को लेकर यह तो अभी एक बानगी भर है। आगे आने वाले समय में जब गेहूं और आलू की बुवाई तेज होगी तो ऐसी स्थिति में किसान को यूरिया और डीएपी खाद की सबसे अधिक जरूरत पड़ती है। ऐसी स्थिति में जिला स्तरीय अधिकारियों को चाहिए कि वह किसानो की मूलभूत समस्या से विमुख न हो और इसे गंभीरता से लें। जिससे छोटे या बड़े किसान को जरूरत के समय खाद की किल्लत का सामना न करना पड़े।
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