फर्रुखाबाद,पांचालघाट श्री मेला रामनगरिया
चीफ एडिटर केशराम राजपूत की रिपोर्ट
मेला रामनगरिया पांचालघाट फर्रुखाबाद जिला अधिकारी संजय कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक विकास कुमार व सांसद मुकेश राजपूत विधायक मेजर सुनील दत्त अमृतपुर विधायक व कायमगंज विधायक व भाजपा जिला अध्यक्ष ने हवन पूजन के साथ अपरा काशी श्री मेला रामनगरिया माँ गंगा के पावन तट पर 21000 दीप प्रज्जवलित कर मां गंगे की आरती कर श्री मेला रामनगरिया का किया शुभारंभ मेला रामनगरिया शुभारंभ के दौरान जिले के विशिष्ट अधिकारी व नेतागण उपस्थित रहे वहीं शासन प्रशासन की तरफ से मेला रामनगरिया में सीसीटीवी कैमरे में पुलिस प्रशासन की रहेगी चप्पे-चप्पे पर रहेगी नजर मां गंगा की गई आरती प्रतिवर्ष माघ महीने में गंगा किनारे मेला लगता है, जिसे रामनगरिया मेला कहते हैं। फर्रुखाबाद के पांचाल घाट पर लगने वाला माघ मेला काफी लोकप्रिय है। प्राचीन ग्रथों में इस पूरे क्षेत्र को स्वर्गद्वारी कहा गया है। देश-प्रदेश के श्रद्धालुओं को अपनी तरफ आकर्षित करने वाला यह मेला कब अस्तिस्त्व में आया? यह बहुत कम लोग ही जानते हैं।
इतिहास में झांककर देखें तो गंगा के तट पर कल्पवास कर रामनगरिया लगने का कोई लिखित प्रमाण नहीं है। शमसाबाद के खोर में प्राचीन गंगा के तट पर ढाई घाट का मेला लगता चला आ रहा है। यह मेला काफी दूर होने के कारण कुछ साधू-संत वर्ष 1950 माघ के महीने में कुछ दिन कल्पवास कर अपनी साधना करते थे, लेकिन आम जनता का इनसे कोई सरोकार नहीं होता था। वर्ष 1955 में पूर्व विधायक स्वर्गीय महरम सिंह ने इस तरफ अपनी दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने इस वर्ष गंगा के तट पर साधु-संतों के ही साथ कांग्रेस पार्टी का एक कैम्प भी लगाया था। इसी के साथ ही साथ उन्होंने पंचायत सम्मलेन, शिक्षक सम्मेलन, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी सम्मेलन तथा सहकारिता सम्मेलन का आयोजन कराया, जिसमे क्षेत्र के लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई। वर्ष 1956 में विकास खंड राजेपुर तथा पड़ोसी जनपद शाहजंहांपुर के अल्लागंज क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने माघ मेले में गंगा के तट पर मड़ैया डाली और कल्पवास शुरू किया। देखते ही देखते मेले की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी। भारतवर्ष के प्रत्येक देश से साधु संत आकर यहां कल्पवास करते हैं