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खनन माफियाओं के हौसले बुलंद प्रशासनिक अधिकारी नहीं लगा पा रहे लगाम

बेखौफ होकर कर रहे खनन, जिम्मेदार मौन

अमृतपुर फर्रूखाबाद

उत्तर प्रदेश सरकार मिट्टी खनन माफियों पर लगाम लगाने का लगातार प्रयास कर रही है। वही खनन अधिकारी अपनी मोटी जेब करने के लिए आए दिन मिट्टी खनन माफियों से मिल कर शासन के आदेशों को ठेंगा दिखाने का काम कर रहे है।
अमृतपुर थाना क्षेत्र में मिट्टी खनन माफिया 100 घन मीटर की निजी परमीशन बनबाते है। और अधिकारियों की मोटी जेब करके 100 घन मीटर से कई गुना खेत खोद देते है। जिसको न तो थाने के पुलिस कर्मी ध्यान देते है और न ही खनन अधिकारी। अगर तहसील के किसी अधिकारी को अवैध मिट्टी खनन की जानकारी हो वह भी उस पर कोई ध्यान नहीं देता है। वही अमैयापुर डिप के पास अवैध मिट्टी खनन चल रहा हैं। स्वराज टैक्टर मालिक रतनपुर पमारान और अमैयापुर पूर्वी अन्य कई जगह ठेका लेकर 500 से 600 रुपए तक प्रति ट्राली मिट्टी डाली जा रही हैं। निजी काम की परमीशन पर ठेका का काम मिट्टी खनन माफिया कर रहे और जिस नाम की परमीशन बनी है। उसका केबल नमूना ही है और ठेका का काम अमृतपुर थाना क्षेत्र में बहुत जोरो से चल रहा हैं।
और समाचार पत्र में खबर प्रकाशित की गई और सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी गई लेकिन उसमें निजी कार्य हेतु परमिशन का हवाला डाल दिया गया। लेकिन थाना क्षेत्र में ठेका से मिट्टी का कार्य बड़े जोरों से चल रहा है।
तहसील व थाने पर बैठे अधिकारी भी इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं जबकि कुछ माह पूर्व नवाबगंज थाना क्षेत्र में मिट्टी खनन माफिया ने एक पुलिसकर्मी की ट्रैक्टर चढ़ाकर जान तक ले ली थी लेकिन उसका कोई भी सरकारी कर्मचारी पर फर्क नहीं पड़ रहा है।जानकारी के अनुसार बताते चले कि जिसके नाम पर परमिशन हो उसी के यहां मिट्टी डाली जाए लेकिन यहां पर पूरा खेल उल्टा ही कर दिया है, जिसका खेत है उसके नाम परमिशन नहीं, खेत मालिक के यहां एक तोला मिट्टी नहीं, परमिशन किसी और के नाम है खेत किसी और का ट्रैक्टर है किसी और का अब मिट्टी पड़ रही है कहीं और, थाना अध्यक्ष ने एक्स ऐप पर जवाब देते हुए कहा है कि अजय कुमार पुत्र राम चरण निवासी अमैयापुर में अपने निजी काम के लिए परमिशन ली है। और खुदाई छोटेलाल शर्मा के खेत की जा रही है। परमीशन किसी अन्य के नाम खेत की खुदाई किसी अन्य के खेत में चल रही हैं। जिन्होंने ली उसके खेत में एक ट्राली मिट्टी तक नहीं उठी है। आखिरकार परमीशन का मिट्टी खनन माफिया खेल कर रहे है।मिट्टी खनन माफिया पर आंख बंद कर विश्वास कर रहे है। और कोई स्थली जांच नहीं की जाती है।और फिर किसके खेत से मिट्टी उठा रहे हैं। और जवाब देते हुए कहा है कि सात दिवसीय परमिशन है, आखिरकार 7 दिनों में कितनी ट्राली मिट्टी डालेंगे। तहसील और थाने में बैठे अधिकारी को यह ध्यान नहीं है कि खनन विभाग केवल 30 ट्राली की ही परमीशन देता है उसके स्थान पर मिट्टी खनन माफिया 100 से 200 ट्राली मिट्टी डाल लेते है। जमीनी हकीकत कोई भी खनन अधिकारी या फिर पुलिस विभाग से लेकर तहसील प्रशासन नहीं देखा है। उच्च अधिकारियों को हवा हवाई में थाना और तहसील के अधिकारी जवाब दे देते है। अगर इसकी जमीनी हकीकत से जांच की जाए तो जिसका सारा उल्टा खेत निकलेगा। और 100 घन मीटर (10 मीटर लंबाई और 10 मीटर चौड़ाई व 1 मीटर गहराई) के स्थान पर खेत पूरा तालाब में तब्दील हो चुका है। लेकिन कोई भी अधिकारी मिट्टी खनन माफिया की जांच करने में क्यों कतरा रहे हैं। अगर इसकी जांच जमीनी हकीकत तक की जाती तो आज ट्रैक्टर एवं ट्राली दोनों थाने में खड़े होते। अब देखना यह है। कि तहसीलदार कर्मवीर ने थाना अध्यक्ष को फोन करके निर्देशित करने का आदेश दिया था। राजस्व विभाग खेत में उठाई गई मिट्टी की कितनी जांच करता है। या केवल कागजी कार्रवाई में ही पूरी जांच करके उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।
कि ट्रैक्टर मालिक एवं खेत मालिक पर क्या कार्रवाई हो रही है।
इस संबंध में जब तहसीलदार अमृतपुर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैं अभी थाना अध्यक्ष को अवगत कराया है। उन्होंने बताया है की परमिशन बनी हुई है जब पूरी हकीकत तहसीलदार को बताई तो उन्होंने कहा कि मैं खेत की नाप राजस्व टीम को भेज कर अवश्य करूंगा अगर खेत में 100 घन मीटर से अधिक खुदाई की गई है। तो उस पर कार्रवाई अवश्य की जाएगी।

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