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नासा की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर बुधवार (19 मार्च) को धरती पर लौटेंगे. सुनीता और बुच विल्मोर की वापसी का यह सफर करीब 17 घंटे का होगा. दोनों एस्ट्रोनॉट SpaceX क्रू कैप्सूल में समंदर में लैंड करेंगे. इस कैप्सूल को खोलने के बाद एस्ट्रोनॉट्स को स्ट्रेचर पर लाया जाएगा.दरअसल स्पेस में महीनों बिताने के बाद एस्ट्रोनॉट्स अचानक चल नहीं सकते. उनके शरीर में कई बदलाव भी हो जाते हैं ISS में रहने की वजह से अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियों का व जन कम हो जाता है। कमर, गर्दन और जोड़ों को नियंत्रित करने वाले मांसपेशियों पर ज्यादा असर पड़ता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अंतरिक्ष यात्रियों को बेबी फीट का भी अनुभव मिलता है। अंतरिक्ष यात्रियों के पैर छोटे बत्तों की तरह नरम भी हो सकते हैं। पैरों की मोटी त्वचा यानि कि कॉलस गायब होने लगता है।पृथ्वी पर लौटने के बाद उन्हें चलने में या फिर खड़े होने में संतुलन बनाना पड़ सकता है।
जिससे बैलेंस और मसल्स पर असर पड़ता है. दरअसल धरती पर ग्रैविटी हमारे शरीर को कंट्रोल में रखती है, लेकिन स्पेस में ऐसा नहीं होता. इसीलिए जब सुनीता विलियम्स और बुल विल्मोर धरती पर आएंगे तो उन्हें स्ट्रेचर पर रखा जाएगा.